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शुक्रवार, 10 जून 2011

रघुनाथ मिश्र और उनकी चार गज़लें — अवनीश सिंह चौहान

रघुनाथ मिश्र

दर्द दिल में मगर लब पे मुस्कान है
हौसलों की हमारे ये पहचान है 

मशहूर शायर नीरज गोस्वामी की उपर्युक्त पंक्तियाँ अपने अंतस में दर्द को जीते हुए जिन हौसलों की ओर संकेत करती हैं वैसा ही महसूस किया जा सकता है रघुनाथ मिश्र की रचनाओं में और जब वो कहते हैं-"कौन कहता है? मज़ा जोख़िम से डर जाने में है / ज़िन्दगी का अर्थ ही, तूफाँ से टकराने में है " तो मन उत्साहित होने लगता है जीवन में आए संघर्षों का सामना करने के लिए। रघुनाथ प्रसाद मिश्र का जन्म 2 जुलाई 1952 को ग्राम चंदापार, जनपद बस्ती (उ.प्र.) में हुआ। बचपन में ही आपके माता-पिता का देहावसान हो जाने के कारण आपका लालन-पालन आपके बड़े भाइयों एवं बहनों ने किया। प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में हुई, किन्तु उच्च शिक्षा के लिए आपको शहर जाना पड़ा। आपने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (राजनीतिशास्त्र) उपाधि प्राप्त करने के बाद विशारद (हिन्दी साहित्य), एलएल.बी तथा डी.एलएल. की उपाधियाँ प्राप्त की। 1973 से आप कोटा (राजस्थान) में निवास कर रहे हैं। कोटा में रहते हुए आपने न केवल साहित्यिक सृजन किया बल्कि जनवादी लेखक संघ से भी जुड़ गये और इसी संघ के बैनर तले आपका हिन्दी-उर्दू ग़ज़ल संग्रह- सोच ले तू किधर जा रहा है प्रकाशित हो चुका है। आपने "जलेस" कोटा द्वारा हमारे जनकवि श्रंखला की तेरह पुस्तकों के प्रकाशन, प्रबंधन एवं सम्पादन में भी भरपूर सहयोग दिया है। आपने कोटा जन नाट्य मंच के तत्वाधान में अनेक नाटकों में प्रमुख भूमिकाएं निभायीं और निर्देशन सहयोग दिया। परिणामस्वरूप आपकी अभिनय कला को पूरे राजस्थान में तो सराहा ही गया, देश के अन्य प्रान्तों में भी आपको अच्छा 'रिस्पांस' मिल। आपकी साहित्यिक उपलब्धियों हेतु अखिल दिगंबर जैन समाज (कोटा) द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है; साथ ही 'हम साथ-साथ' द्वारा प्रायोजित 'स्व. मिथिलेश-रामेश्वर प्रतिभा सम्मान' (2010) और हैदराबाद में 'गीत चांदनी निराला सम्मान' (2011) से भी अलंकृत किया जा चुका है। संपर्क- 3-के-30 तलवंडी, कोटा (राजस्थान)-324005. मोब: 09214313946. 

चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार
1. ज़िन्दगी का अर्थ 

कौन कहता है? मज़ा जोख़िम से डर जाने में है
ज़िन्दगी का अर्थ ही, तूफाँ से टकराने में है ।

दास्ताने जुल्म सीने में, हज़ारों हों तो हों,
पी के ग़म भी हँस मज़ा, अपनी डगर जाने में है ।

रोटियां छीनी जिन्होंने, उम्र भर कमज़ोर की,
बेहतरी मेहनतकशों की, उनके मर जाने में है ।

बेकसी के ख़ास तेवर, ज़िन्दगी में आएँगे ,
आदमी की शान, उनसे, जम के लड़ जाने में है ।

मंज़िलें चूमें क़दम, जिस यत्न से इंसान के,
दिलकशी की बात बस, वह कर गुज़र जाने में है ।

क्षितिज के उस पार जाकर, लौट आने की ललक ,
जिस्म की शान सुर्ख़, अंगारों पे चल जाने में है ।

आसमाँ, सागर, नदी, झरने, पहाड़ों की तरह,
आदमीयत का मजा, मैदां मे अड़ जाने में है ।

2. कुछ भेड़िये ग़मगीन हैं

किसने लगाई आग और किस-किस का घर जला,
मेरे शहर के अम्न पे कैसा क़हर चला ।

क्या माजरा है दोस्त, चलो हम पता करें,
इस बेक़सूर परिंदे का, कैसे पर जला ।

कुछ भेड़िये ग़मगीन हैं, इस ख़ास प्रश्न पर,
कैसे ख़ुलूस-ओ- प्यार में, अब तक शहर पला ।

किसकी ये साज़िसें हैं, हिमाक़त ये की,
विष घोल फ़जाओं में, चुरा जो नज़र चला ।

कल शाम हुए हादसों पे, हो चुकी बहस,
है प्रश्न इसी दौर का, आखिर किधर भला ।

3. रंग-ए-सियासत

सितम उनकी आदत है, क्या करें?
अजीब ये नज़ाकत है, क्या करें?

वे महफूज़ हैं फिर, आग लगाकर,
उन्हें ये रियायत है, क्या करें?

आदत है अपनी, आजकल, तूफाँ से उलझना,
इस में ही हिफ़ाज़त है, क्या करें?

लागू कराई जाए, भेड़ियों की सभ्यता,
ये ख़ास हिदायत है, क्या करें?

बेख़ौफ़ जुल्म, साज़िशें, दहशतज़दा माहौल,
ये रंग-ए-सियासत है, क्या करें?

4. कितने हो गये तबाह

कितने हो गये तबाह, हम तलाशेंगे,
चश्मदीद कुछ गवाह, हम तलाशेंगे ।

ठिठुर रहे हों सर्द रात में, असंख्य जहाँ,
वहीं पे गर्म ऐशगाह, हम तलाशेंगे ।

यहाँ ये रोज़ भूख-प्यास-महामारी है,
वहां पे क्यों है वाह-वाह, हम तलाशेंगे ।

ख़ुलूस-ओ-प्यार की आबोहवा जहरने में,
उठी है कैसे यह अफ़वाह, हम तलाशेंगे ।

जिन बस्तियों ने हर ख़ुशी बांटी उनमें,
ठहरी है क्यों कराह, हम तलाशेंगे ।

बहते हुए दरिया का अचानक यूँ ही,
ठहरा है क्यों प्रवाह, हम तलाशेंगे ।

Four Gazals of Raghunath Mishra

7 टिप्‍पणियां:

  1. शब्द साधकों की साधना स्थली है...अवनीश सिंह चोहान
    दोस्तों पूर्वाभास के अवनीश सिंह चोहान जिनका अपना मानना है के शब्द साधकों की साधना स्थली है और इसी फार्मूले को लेकर भाई अवनीश जी एक नई ब्लोगिंग की दुनिया बनाने का सपना देख रहे हैं जिसमे कविताये,छोटी रचनाएँ,कहानिया खबरें ,पुस्तके गजले और देश भर विभिन्न रचनाकारों का परिचय इस ब्लॉग में शामिल करना चाह रहे हैं करना चाह क्या रहे हैं कर चुके है आप को ताज्जुब होगा के भाई अवनीश सिंह जी चोहान अब तक दर्जनों लोगों से अपने ब्लोगर भाइयों की मुलाक़ात करा चुके हैं और इनका एक ही मकसद है प्यार दो प्यार लो और बस बस इसीलियें इनका पूर्वाभास बढ़ता जा रहा है बढ़ता जा रहा है भाई अवनीश जी का परिचय उनकी ही ज़ुबानी पेश हैं ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
    ४ जून १९७९ को इटावा (उ.प्र.) के एक छोटे से गाँव चंदपुरा में जन्मे अवनीश सिंह चौहान के आलेख, समीक्षाएँ, साक्षात्कार, कहानियाँ, कविताएँ एवं नवगीत देश-विदेश की अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित। साप्ताहिक पत्र ‘प्रेस मेन’, भोपाल, म०प्र० के ‘युवा गीतकार अंक’ (३० मई, २००९) तथा ‘मुरादाबाद जनपद के प्रतिनिधि रचनाकार’ (२०१०) में आपके गीत संकलित। एक दर्जन हिंदी एवं अँग्रेजी पुस्तकों का लेखन, सह लेखन एवं संपादन। अंग्रेजी नाटककार विलियम शेक्सपियर द्वारा विरचित दुखान्त नाटक ‘किंग लियर’ का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित। आयरलेंड की कवयित्री मेरी शाइन द्वारा सम्पादित अंग्रेजी कविता संग्रह 'ए स्ट्रिंग ऑफ वर्ड्स' में आपकी रचनाएँ संकलित। आपका एक नवगीत संग्रह, एक कहानी संग्रह तथा एक गीत, कविता और कहानी से संदर्भित समीक्षकीय आलेखों का संग्रह प्रकाशनाधीन। प्रख्यात गीतकार, आलोचक, संपादक श्री दिनेश सिंहजी (रायबरेली, उ०प्र०) की चर्चित एवं स्थापित कविता-पत्रिका ‘नये-पुराने’ (अनियतकालिक) के कार्यकारी संपादक पद पर अवैतनिक कार्यरत। वेब पत्रिका ‘गीत-पहल’ के समन्वयक एवं सम्पादक तथा वेब पत्रिका 'ख़बर इण्डिया' के साहित्यिक संपादक। आपके साहित्यिक अवदान के परिप्रेक्ष्य में आपको 'ब्रजेश शुक्ल स्मृति साहित्य साधक सम्मान' (वर्ष २००९ ), 'हिंदी साहित्य मर्मज्ञ सम्मान' (वर्ष २०१०) तथा 'प्रथम पुरुष सम्मान' (२०१०) से अलंकृत किया जा चुका है।


    जन्म: 4 जून, 1979, चन्दपुरा (निहाल सिंह), इटावा (उत्तर प्रदेश) में


    पिता का नाम: श्री प्रहलाद सिंह चौहान


    माताका नाम: श्रीमती उमा चौहान


    शिक्षा: अंग्रेज़ी में एम०ए०, एम०फिल० एवं पीएच०डी० (शोधरत्) और बी०एड०


    प्रकाशन: अमर उजाला, देशधर्म, डी एल ए, उत्तर केसरी, प्रेस-मेन, नये-पुराने, गोलकोण्डा दर्पण, संकल्प रथ, अभिनव प्रसंगवश, साहित्यायन, युग हलचल, यदि, साहित्य दर्पण, परमार्थ, आनंदरेखा, आनंदयुग, कविता कोश डॉट कॉम, सृजनगाथा डॉट कॉम, अनुभूति डाट काम, हिन्द-युग्म डॉट कॉम, रचनाकार, साहित्य शिल्पी, पी4पोएट्री डॉट कॉम, पोयमहण्टर डॉट कॉम, पोएटफ्रीक डॉट कॉम, पोयम्सएबाउट डॉट कॉम, आदि हिन्दी व अंग्रेजी के पत्र-पत्रिकाओं में आलेख, समीक्षाएँ, साक्षात्कार, कहानियाँ, कविताओं एवं नवगीतों का निरंतर प्रकाशन। साप्ताहिक पत्र ‘प्रेस मेन’, भोपाल, म०प्र० के ‘युवा गीतकार अंक’ (30 मई, 2009) तथा ‘मुरादाबाद के प्रतिनिधि रचनाकार’ (2010) में गीत संकलित। मेरी शाइन (आयरलेंड) द्वारा सम्पादित अंग्रेजी कविता संग्रह 'ए स्ट्रिंग ऑफ वर्ड्स' में रचनाएँ संकलित


    अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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  2. Avnish ke baare mein akhtar khan akela,mere khas dost ke udgaar hriday ko chhune wale hain,vajah jo achha hai-bheetar se vah bahar bhi vahi achha hi nikalega.bhai akhtar sahityakaron ko protsahit karne ke abhiyan mein jute hue hain.Isi liye swayam bhi teji se aage barhte ja rahe hain.hardik badhai-aage barhte rahnr ki shubhkamnayen.RAGHUNATH MISRA,ADVOCATE(KAVI,SAHITYAKAAR,SAMPADAK,RANGKARMI,AALOCHAK,PRAKASHAK)Contact:3-k-30,Talwandi,koya-324005(Rajasthan)Mobile:09214313946

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  3. रघुनाथ मिश्र जी की गजलें बेहद शानदार लाजवाब हैं.

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  4. रघुनाथ मिश्र जी की बेहतरीन गजलें पढ़ने का अवसर देने के लिए आभार.

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